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समवसरण – Samavasarana.
Assembly of Lord Arihant, the place of resonant preaching of Lord Arihant.
तीर्थकर की घर्मसभा को समवसरण कहते है। जहां समस्त स्त्री-पुरुष पशु-पक्षी, और देवी-देवता समान भाव से भगवान का उपदेष सुनते है अथवा जहां सभी भव्य जीव तीर्थकर की दिव्यध्वनि के अवसर की प्रतीक्षा करते है वह समवसरण है। सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से कुबेर के द्वारा तीर्थकरो के योग्य समवसरण की रचना की जाती है।