



मुनिमन सम उज्ज्वल नीर, प्रासुक गन्ध भरा।


तंदुल सित सोम समान, सुन्दर अनियारे। 
वरकंज कदंब कुरंड, सुमन सुगंध भरे।
मनमोहक मोदक आदि, सुन्दर सद्य बने। 


दशगंध हुताशन मांहि, हे प्रभु खेवत हों। 
शुचिपक्वसरस फल सार, सब ऋतु के ल्यायो।


श्रीमत तीरथनाथ पद, माथ नाय हितहेत।