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सागर की परिभाषा

September 19, 2017स्वाध्याय करेंjambudweep

सागर की परिभाषा


अर्थ संदृष्टि के अनुसार सागरोपम की संहनानी अर्थात चिह्न सा है “
सागरोपम के भी तीन भेद हैं “
१.व्यवहार सागरोपम “
२.उद्धार सागरोपम “
३.अद्धा सागरोपम “

व्यवहार पल्य x दस कोड़ाकोड़ी = एक व्यवहार सागरोपम
उद्धार पल्य x दस कोड़ाकोड़ी = एक उद्धार सागरोपम
अद्धा पल्य x दस कोड़ाकोड़ी = एक अद्धा सागरोपम
 

सूच्यंगुल का विवरण 


प्र-१. सूच्यंगुल कैसे उत्पन्न होता है ?
उ- अद्धा पल्य की अर्धच्छेद राशि का विरलन करके एक-एक के ऊपर अद्धा पल्य को देकर परस्पर में गुणा करने पर सूच्यंगुल उत्पन्न होता है “
विशेष – एक प्रमाणांगुल प्रमाण लम्बे तथा एक प्रदेश प्रमाण चौड़े ऊँचे क्ष्रेत्र में जितने प्रदेश आवे , उनका प्रमाण सूच्यंगुल है “

 
Tags: Jain Geography
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