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सारे जग का तू सरताज-बाबा हो बाबा

June 4, 2013भजनjambudweep

सारे जग का तू सरताज-बाबा हो बाबा


 तर्ज—सारे जग में तेरी धूम……

सारे जग का तू सरताज-बाबा हो बाबा।

तूने मोक्षमार्ग बतलाया, जग को जीवन कला सिखाया,

आदि ब्रह्मा तू कहलाया।। सारे……।। टेक.।।

कर्मयुग के प्रथम आप अवतार हैं।

नाभिनन्दन को जग को नमस्कार है।।

माता मरुदेवी हर्षार्इं, जिनके घर में बजी बधाई।

सबके मन में खुशियां छार्इं-सारे जग का……।।१।।

तुम अयोध्या में जन्मे व शासन किया।

अष्टापद गिरि पे जाकर के शिवपद लिया।।

तुमने पहले ब्याह रचाया, फिर जा वन में दीक्षा पाया।

सिद्धं नम: मंत्र को ध्याया-सारे जग का……।।२।।

एक वरदान प्रभु मुझको दे दीजिए।

अपने चरणों में मुझको बुला लीजिए।।

मैंने तुझको शीश नवाया, मन में तेरा ध्यान लगाया।

फिर तो जो चाहा सो पाया-सारे जग का……।।३।।

ज्ञानमति माँ तेरे, दर्श को आ गई।

भेंट उनकी अयोध्या, स्वयं पा गई।।

बनी अयोध्या नगरी प्यारी, जग में पा गई ख्याति निराली,

कृतियां बनी ‘‘चन्दना’’ न्यारी सारे जग का……।।४।।

मानो बाबा ने पुत्री को बुलवाया था।

ज्ञानमति मात को याद दिलवाया था।।

पुत्री ब्राह्मी यदि तुम आओ, अपनी कर्मठता दिखलाओ,

गणिनी माँ का रूप दिखाओ।। सारे……।।५।।

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