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सावन की रिमझिम फुहारों में हरे—भरे पेड़ों के बीच—झूला—झूलना स्वास्थ्य के लिय लाभदायक है। झूला झूलते समय श्वांस लेने की गति में तेजी आती है। इससे फैफड़ों की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है और वे स्वस्थ बनते हैं। सावन में यह काम और भी आसान हो जाता है। आईये जानें। वर्षा ऋतु में जठराग्नि हो जाती है, झूला झूलने से क्षीण हो चुकी जठराग्रि प्रबल हो जाती है। इस मौसम में वायु में उड़ने वाले धूल के कण, कार्बन के सूक्ष्मकण तथा पानी में घुलनशील तमाम हानिकारक गैस वर्षा के जल के साथ—साथ पृथ्वी पर आ जाते हैं एवम् हवा शुद्ध हो जाती है। झूला—झूलने से प्रकृति की तरोताजा शुद्ध हवा का अधिक सेवन होता है, जो कई दृष्टि से स्वास्थ्य हेतु अनुकूल एवम् अत्युत्तम है। इस मौसम में वायु में उड़ने वाले धूल के कण, कार्बन के सूक्ष्मकण तथा पानी में घुलनशील तमाम हानिकारक गैस वर्षा के जल के साथ—साथ पृथ्वी पर आ जाते हैं एवम् हवा शुद्ध हो जाती है। झूला—झूलने से प्रकृति की तरोताजा शुद्ध हवा का अधिक सेवन होता है, जो कई दृष्टि से स्वास्थ्य हेतु अनुकूल एवम् अत्युत्तम है। झूला झूलने से शरीर को प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है और रक्त का शुद्धिकरण भी होता है। झूला झूलना केवल आनंददायक क्रिया ही नहीं वरन् स्वास्थ्य का सुधार करने वाला आसान व्यायाम भी है। झूलते समय हाथों की मजबूत पकड़ रस्सी पर होती है तथा खड़े होकर झूलते समय बार—बार उठक बैठक भी लगानी पड़ती है जो कि शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा व्यायाम है।