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स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्

February 12, 2017जनरल नॉलेजjambudweep

स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्


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संस्कृत उक्ति ‘स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्’ का अर्थ होता है कि स्वास्थ्य से ही सारे कार्य सिद्ध होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या के कुछ बुनियादी नियमों का पालन किया जाए, तो सदा स्वस्थ रहेंगें। जागने के लिए ब्रह्म मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन आधुनिक युग में हम ६.३० बजे तक का समय उचित मान सकते हैं। ताम्बे के पात्र में रखा १—२ गिलास पानी हल्का गर्म करके पिएं। यह रातभर में शरीर में बढ़े कफ—पत्त की मात्रा घटाता है। थोड़े गर्म जल से कुल्ला करना न भूलें। यह लगती तो साधारण बात है, पर इससे गले से चेहरे तक की पेशियों में हलचल होती है, होंठो का सूखापन कम होता है। और आवाज खुलती है । त्रिफला मिले पानी से आंखें धोएं । सरसों, तिल या नारियल तेल से हफ्ते में कम से कम दो बार मालिश करें। रोजाना अपनी रुचि और सुविधा के मुताबिक योग, तेजी से पैदल चलना, दौड़ना, तैराकी कुछ भी कर सकते हैं। निरंतरता में हर दिन कम से कम १५ मिनट शारीरिक सक्रियता होनी चाहिए। कहा जाता है कि दस काम छोड़कर नहाना और सौ काम छोड़कर खाना। उत्तम स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद अनिवार्य है। रात में सोने से डेढ दो घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए। पहले दाहिनी करवट सोना चाहिए। इससे पाचनतंत्र पर दबाव नहीं पड़ता।

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