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हड्डी का दर्द की दवा!

July 14, 2017प्राकृतिक चिकित्साjambudweep

आयुर्वेदिक दवाइयाँ

हड्डी का दर्द


गठिया (गाउठ) सोंठ, हरड़, पीपल, निशोध और काला नमक समान मात्रा में कपड़छान कर चूर्ण बना लें, ३—३ ग्राम जल से दिन में २ बार लें गठिया और अफारा को नष्ट करता है।

हड्डी का दर्द — घुटनों में पैरों के अंगूठे की हड्डियाँ यदि कमजोर होकर दर्द होता है, तो बड के पत्ते का दूध चुपड़ लेवें दो दिन तक उसमें पानी ना लगने दें, आराम होता है।

गठिया दर्द — जोड़ों में दर्द हो तो चने की दाल के बराबर हींग की फंकी पानी से एक बार नित्य एक महीना लें। गठिया के रोग में रक्त में खटाई की प्रधानता हो जाती है, नमक खाने से यह खटाई बढ़ती है अत: गठिया के रोगी को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। वायु एवं वात रोगों में मेथी का शाक लाभ करता है। मेथी को घी में भूनकर पीसकर छोटे—छोटे लड्डू बनाकर दस दिन सुबह शाम खाने से वात पीड़ा में लाभ होता है। गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खिलाने से गठिया मिटता है। चाय की चार चम्मच दानामेथी रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: पानी छानकर हल्का गर्म करके पीने से लाभ होता है। भीगी मेथी को अंकुरित करके खायें। दो चम्मच दानामेथी को दो कप पानी में उबालकर जब आधा पानी रहे तो पानी नित्य दो बार एक महीने तक पिएं। इससे गठिया, कमरदर्द और कब्ज में लाभ होता है, असगंध और देशी बूरा समान मात्रा में पीसकर मिलाकर तीन चम्मच सुबह—शाम गर्म दूध से फाँकी लें। रेत तवे पर सेक कपड़े में पोटली बाँध कर दर्दग्रस्त अंगों का सेक करें। सूजन वाले स्थान पर नमक या बालू मिट्टी की पोटली से सेक करें। चाय पेशाब में यूरिक एसिड बढ़ाती है। उससे जोड़ों का दर्द व वजन बढ़ता है अत: वात के रोगियों को चाय नहीं पीनी चाहिए।

घुटनों का दर्द — मोठ को गर्म मिट्टी में सेक लें। फिर उनको पीसकर छान लें। उस आटे में घी डालकर सेकें। फिर उसमें चीनी की चासनी बनाकर मिलाकर लड्डू बना लें। दो लड्डू एक बार प्रात: भूखे पेट खायें। तेल तेज मसाले, खटाई जब तक लड्डू खायें,तब तक नहीं खायें। दर्द ठीक हो जायेगा। घुटनों में दर्द नया हो या पुराना, मोठ के लड्डू खाने से लाभ होता है।

जाँघ में दर्द — जाँघ में दर्द होने पर एक चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच घी मिलाकर प्रात: भूखे पेट पियें, लाभ होगा। कमर का दर्द — मेथी की सब्जी खाने से कमर दर्द में लाभ होता है। कमर के दर्द में छुआरा लाभदायक है।

दो छुआरे सुबह—शाम खाएँ। जायफल पानी में मिलाकर तिल के तेल में मिलाकर गर्म करें। अच्छी तरह गर्म होने पर ठण्डा करके कमर दर्द में मालिश करें, लाभ होगा।

सूजन — गोबर के छाने या उपले जलाकर इनकी राख सूजन वाली जगह बाँधने से पानी सोखने से लाभ होता है। सूजन कम होती है। शरीर की सूजन के साथ पेशाब कम आता हो, एल्ब्यूमिन मूत्र में जाता हो, यकृत बढ़ गया हो, मन्दाग्नि हो, नेत्रों के आस पास और चेहरे पर विशेष रूप से सूजन हो तो नित्य पके हुए अनन्नास खायें और केवल दूध पर रहें। तीन सप्ताह में लाभ हो जाएगा। एक गिलास गर्म दूध में स्वाद के अनुसार पिसी हुई मिश्री, एक चम्मच हल्दी दोनों मिलाकर घोलकर नित्य पिएं। यह सूजन में लाभदायक है। सारे शरीर हाथ—पैर सूज गये हों तो इससे लाभ होता है। यह कुछ सप्ताह नित्य पियें। चौथाई चम्मच पिसी हुई हल्दी नित्य पानी से फंकी लेते रहने से सूजन मिट जाती है। गर्म—ठंडे पानी के पर्यायक्रम से सेंक करने से सूजन में लाभ होता है। पहले तीन मिनट गर्म पानी से सेक करें, फिर एक मिनट ठंडे पानी से सेक करें। पसली का दर्द — हींग को गर्म पानी में घोलकर जिन पसलियों में दर्द हो रहा हो वहाँ पर लेप करें।

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