हँसना एक मानवीय लक्षण है। किसी ने तो मानव की परिभाषा यह दी है कि वह हँसने वाला प्राणी है। जीवन में निरोग के लिए हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। थैकर नाम के विचारक ने कहा है — ‘ प्रसन्नता ऐसी पोशाक है, जो हर समाज, सोसाइटी में, हर मौसम में पहनी जा सकती है।’ मनुष्य की आत्मा की सन्तुष्टि, शारीरिक स्वास्थ्य और वृद्धि की स्थिरता नापने का एक ही थर्मामीटर है चेहरे पर लिखी प्रसन्नता । शेक्सपीयर ने कहा है— ‘प्रसन्नचित्त आदमी अधिक जीता है। दुखी, चिंतातुर और उदास मुखवाला, सभी को ऐसा मायूस लगता है, जैसे कोई मौत की खबर लेकर आया हो।’ गीता में श्री कृष्ण ने कहा है— प्रसादे सर्व दु:खाना हानिरस्योपयाजते।। चित्त प्रसन्न रहने से सब दु:ख दूर हो जाते हैं। जिसे प्रसन्नता प्राप्त हो जाती है उसकी वृद्धि तुरन्त ही स्थिर हो जाती है।