गंगा के सुरम्य तट पर स्थित जैनधर्म के आठवें तीर्थंकर चन्द्रप्रभ भगवान की जन्मभूमि चन्द्रपुरी वाराणसी से लगभग २४ किमी. दूर है। यहाँ की वन्दना से असीम आनन्दानुभूति होती है। यहाँ चन्द्रप्रभ तीर्थंकर के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान ये चार कल्याणक हुए थे इसलिए यह अत्यन्त प्राचीन तीर्थस्थान माना जाता है। यहाँ एक प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर है एवं निकट में ही एक श्वेताम्बर जैन मंदिर है। दिगम्बर जैन मंदिर दूसरी मंजिल पर निर्मित है तथा इसके चारों ओर पुरानी धर्मशाला भी है। मंदिर में गर्भगृह के द्वार पर इधर-उधर आलों में ‘‘विजय यक्ष’’ और अष्टभुजी यक्षिणी ‘‘ज्वालामालिनी’’ की र्मूितयाँ विराजमान हैं। गंगा के तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर का विहंगम दृश्य अत्यन्त मनोहारी है किन्तु इस तीर्थ की वीरानियत देखकर मन अत्यन्त दुखी हो जाता है, इसके जीर्णोद्धार एवं विकास की अत्यन्त आवश्यकता है। चन्द्रपुरी तीर्थ बनारस और गाजीपुर मार्ग पर स्थित है। इस पावन तीर्थ को शत-शत नमन।