लोक के अग्रभाग पर मनुष्यलोक-ढाईद्वीप प्रमाण विस्तृत-४५ लाख योजन प्रमाण सिद्धशिला है। ये मध्य में आठ योजन ऊँची हैै और क्रम से घटते हुए एक अणु प्रमाण रह गई है। यह ‘‘उत्तानचषकमिव’’त्रिलोकसार गाथा ५५६, ५५७, ५५८।- सीधे रखे हुए कटोरे के समान है-अर्धचंद्र के समान है। ढाईद्वीप से अनादिकाल से लेकर आज तक अनंतानंत सिद्ध परमेष्ठी हुए हैं अत: वहाँ पर एक अणुमात्र भी जगह खाली नहीं है। ये सिद्ध भगवान सिद्धशिला के ऊपर घनोदधिवातवलय, घनवातवलय से ऊपर तनुवालवलय में विराजमान हैं। सभी सिद्धों के मस्तक तनुवातवलय के अंतिम भाग से स्पर्शित हैं। आगे लोकाकाश के बाहर धर्मास्तिकाय का अभाव होने से एवं अलोकाकाश में जीव द्रव्य के नहीं होने से सिद्ध भगवान वहीं तक लोक के अग्रभाग में विराजमान हैं। उन अनंतानंत सिद्धों को हमारा अनंत-अनंत बार नमस्कार होवे।
इति श्रीगौतमस्वामीप्रणीत—श्रीगौतमगणधरवाण्यां गणिनीज्ञानमती- विरचित—अमृतर्विषणीटीकायां प्रथमाध्यायान्तर्गत- मंगलाचरण—नामप्रकरणं समाप्तम् ।