जैनागम में अज्ञान शब्द का प्रयोग दो अर्थों में होता है- पहला है ज्ञान का अभाव या कमी के अर्थ में और दूसरा मिथ्याज्ञान के अर्थ में। पहले वाले को औदयिक अज्ञान और दूसरे वाले को क्षायोपशमिक अज्ञान कहते हैं। मोक्षमार्ग की प्रमुखता होने के कारण आगम में अज्ञान शब्द से प्राय: मिथ्याज्ञान कहना ही इष्ट होता है।
यह मति, श्रुतादि आठ ज्ञानों में एक है। कुज्ञान या अज्ञान होने पर व्यक्ति का मन मस्तिष्क बुरी और गलत मानी जाने वाली बातों की ओर ही उन्मुख होता है। जैसे आज अनेक आतंकवादी, चोर, लुटेरे, स्मगलर आदि है जिनको ज्ञान तो है पर वह देश को अवनति की ओर ले जान वाला, दुखदायी होने से अज्ञान या कुज्ञान की श्रेणी में आता है।