सर्व साधारण प्राणियों में नहीं पायी जाने वाली अदभुत या अनोखी बात को अतिशय कहते हैं। अरिहन्त भगवान चौतीस अतिशयों से सहित होते हैं। इन चौतीस अतिशयों में जन्म के दस अतिशय, केवलज्ञान के दस और देवकृत चौदह अतिशय होते है।
आज भी कई अतिशय क्षेत्र में जहाँ पर तीर्थंकरों की प्राचीनतम मूर्तियों में कोई विशेष बात, या चमत्कार दृष्टिगत होता है और मनवाञिछत कार्य की सिद्धि होती है वह क्षेत्र अतिशय क्षेत्र कहलाते हैं। अतिशय का एक अर्थ चमत्कार भी है।