परमपूज्य चारित्रश्रमणी आर्यिका श्री अभयमती माताजी को अतिशय क्षेत्रों से विशेष लगाव रहा है। भगवान पाश्र्वनाथ के अतिशय से प्रसिद्ध कई क्षेत्रों पर रहकर इन्होंने वहाँ के विकास में अपनी प्रेरणा प्रदान की है तथा उनके प्राचीन इतिहास एवं अतिशय से परिचित कराने हेतु पुस्तक का लेखन किया है। उ.प्र. जिला मुजफ्फरनगर अतिशय क्षेत्र बिहारी भी उनमें से एक है। यहाँ भी भगवान पार्श्र्वनाथ की अतिशय चमत्कारी प्रतिमा विराजमान है। जो चौबीस तीर्थंकरों से समन्वित है। यह अति प्राचीन चतुर्थकाल की प्रतिमा मानी जाती है। यहाँ आने वाले लोगों के सभी रोग-शोक दूर हो जाते हैं और ऐसी मान्यता है कि यहाँ कि सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग मिट जाते हैं। आश्विन वदी एकम को यहाँ प्रतिवर्ष वार्षिक मेला लगता है। पूज्य अभयमती माताजी ने इस क्षेत्र पर रहकर भगवान पार्श्र्वनाथ का ध्यान करके मंत्र जाप कर साधना की है। इस क्षेत्र की उन्नति से सभी को प्रसन्नता होती है। यह सब गुरुओं की देन है। भगवान पार्श्र्वनाथ की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस पुस्तक में पूज्य माताजी ने यहाँ का इतिहास, स्वरचित क्षेत्र की पूजा, पार्श्र्वनाथ भगवान का चालीसा, णमोकार मंत्र पूजा, गणधरवलय पूजा और अन्य पठनीय पाठों को दिया है। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक बिहारी क्षेत्र की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, यह एक उपयोगी पुस्तक है। भगवान पाश्र्वनाथ हम सबके लिए कल्याणकारी हों, यही भावना है। इस प्रकार परमपूज्य आर्यिका श्री अभयमती माताजी ने जहाँ धर्मचक्र महामण्डल विधान, समयसार पद्यावली, रयणसार पद्यावली आदि अनेक बड़े ग्रंथों की रचना की है, वहीं उन्होंने अपनी लेखनी से जन-जन के लिए उपयोगी लघुकाय पुस्तकों की भी रचना करके सराहनीय कार्य किया है।