अनादिकाल –जिसका न कोई आदि है और न अन्त है,ऐसे शाश्वत काल को अनादिकाल कहते हैं ।अनादिकाल से इस धरती पर जैनधर्म एवं उसके सर्वोदयी सिद्धान्त चले आ रहे हैं ।जो प्राणिमात्र के लिए हितकारी हैं ।