जिसका किसी ने निर्माण नहीं किया जो प्रकृति की भांति शाश्वत है युगो-२ से चलता आया है और आगे भी युगो-युगो तक चलता रहेगा वह अनादि कहलाता है। जैसे जैनधर्म अनादि (ज्ञान में आ जाने के कारण अनादि सादि नहीं हो जाता। भूत भविष्यतकाल का प्रमाण निश्चित कर देने पर अनादि भी सादि बन जाएगा)
निधन धर्म है अर्थात् – न तो इसे किसी ने बनाया और न ही नष्ट करेगा, यह प्राणीमात्र के लिए सर्वथा कल्याणकारी है जिस ने इसे अपनाया चाहे वह पशु ही क्यों न हो देवगति की, उत्तम गति की प्राप्ति की है ।