(आज जो उपलब्ध हैं)
१. णमोकार मंत्र अनादि है।
२. चत्तारि मंगल पाठ अनादि है।
३. दो तीर्थ अनादि हैं–अयोध्या, सम्मेदशिखर।
४. मास, तिथियाँ अनादि हैं। श्रावण, भाद्रपद आदि मास, प्रतिपदा, द्वितीया आदि तिथियाँ, कृष्ण-शुक्ल पक्ष।
५. अष्टमी–चतुर्दशी पर्व, नंदीश्वर पर्व, सोलहकारण, दशलक्षण, पंचमेरू व रत्नत्रय पर्व, व्रत अनादि हैं। देवगण भी यहीं की तिथि से मनाते हैं।
६. तीर्थंकर परंपरा अनादि है। त्रेसठ शलाकापुरुष अनादि हैं।
७. अवसर्पिणी–उत्सर्पिणी काल परिवर्तन परंपरा अनादि अनंत हैं।
८. वर्णों का समूह–स्वर, व्यंजन एवं गणित विद्या–अनादि सिद्ध है। भगवान श्री ऋषभदेव ने ब्राह्मी–सुंदरी को पढ़ाया था–स्वर व्यंजन व गणित विद्या। ‘सिद्धो वर्णसमाम्नाय:’।
९. जिनमंदिर निर्माण परंपरा अनादि है एवं मूर्ति निर्माण परंपरा अनादि है।
१०. श्री गौतमस्वामी की वाणी में कथित विषय अनादि हैं-चतुर्थकालीन हैं। चैत्यभक्ति में कथित–नवदेव आदि एवं प्रतिक्रमणपाठ में कथित–नव पदार्थ, चार प्रत्यय, बारह व्रत आदि।