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अनासक्ति :!
November 27, 2015
शब्दकोष
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[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] ==
अनासक्ति :
==
एतांश्च संगान् समतिक्रम्य, सुदुस्तराश्चैव भवन्ति शेषा:। यथा महासागरमुत्तीर्य, नदी भवेदपि गंगासमाना।।
—समणसुत्त : ११४
जो मनुष्य इन स्त्री—विषयक आसक्तियों का पार पा जाता है, उसके लिए शेष सारी आसक्तियाँ वैसे ही सुतर (सुख से पार पाने योग्य) हो जाती हैं, जैसे महासागर का पार पाने के लिए गंगा जैसी बड़ी नदी।
विषयलोभिल्ला, पुरिसा कसायवसगा। करेन्ति एक्केक्कमविरोहं।।
—पउमचरियं : ४/४९
विषयों में लोभी और कषायों के वशीभूत पुरुष बिना वैर—विरोध के भी एक—दूसरे का अनिष्ट करते हैं।
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