अनुशासन जीवन की वह रीढ़ है जिस पर व्यक्ति अपनी उन्नति रूपी मंजिल का निर्माण कर सकता है। गुरू का शिष्य पर पिता का बच्चों पर और पति का पत्नी पर, सरकार का देश पर अनुशासन ही सुखद भविष्य का निर्माण करता है।
स्वयं तीर्थंकर भगवान ने मुक्त अवस्था की प्राप्ति हेतु अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण किया, अनुशासन किया अपनी कषायों का दमन किया तब तीर्थंकर पद की प्राप्ति की। जीवन के उच्च शिखर पर पहुंचने हेतु अनुशासन आधारस्तम्भ है।