अमरूद भोजन को पचाकर कब्ज दूर करता है लेकिन इसका औषधीय महत्व अनेकानेक गुणों से भरपूर है। यहां तक कि इसकी पत्तियां कोपलों और छाल तक के प्रयोग आयुर्वेद में मिलते हैं। इसके चिकित्सकीय प्रयोग इस प्रकार हैं। जहां तक हो सके सलाद में अमरूद जरूर लें। इससे भोजन सही ढंग से पचता है। भोजन के बाद अमरूद खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है त्वचा की कांति बढ़ती है और शरीर में फुर्ती आती है। कब्ज में पके अमरूद खाने से पेट साफ होता है भूख खुलकर लगती है और हाजमा दुरूस्त रहता है। विटामिन सी की प्रचुरता के कारण मौसम रहने तक अमरूद का सेवन करने वालों को दाद, खाज, खुजली, स्वराइसिस स्कर्वी आदि त्वचा की बीमारियां नहीं होती। * दमा और पुरानी खांसी में अमरूद को भूनकर खाने से लाभ होता है। अमरूद एंटीवायटिक तथा कीटनाशक भी होता है । इसे खाने से पेट में कीड़े नहीं रहते। यह मस्तिष्क को शक्ति देकर याददाशत को बढ़ाता है। मसूढों को मजबूत करता है और दांतों को चमकाता है। * पीलिया में अमरूद के गूदे में चार गुना मिश्री मिलाकर सेवन करने से चमत्कारी लाभ मिलता है। कलेजे की जलन में अमरूद की साफ पत्तियां उबालकर चीनी मिलाकर छानकर पीने से लाभ होता है। अमरूद की पत्तियां उबालकर उसके पानी से गरारा करने ये टांसिलाइटिस से लाभ होता है गले का संक्रमण दूर होता है और कफ इत्यादि निकल जाता है। मुंह में छाले होने की स्थिति में अमरूद की एक दो साफ पत्तियां चबाने से लाभ होता है। अमरूद में पैक्टिन नामक पदार्थ विद्यमान रहता है जो किडनी की बीमारियां दूर करता है। * अमरूद के बारे में यह जानना भी जरूरी है कि इसे जहां तक हो सके खाली पेट नहीं खाना चाहिए। एपोडिसाइटिस के रोगियों के लिये यह फल वर्जित है। पेशाब की थैली अथवा गुर्दे में पथरी हो तो भी अमरूद हरगिज नहीं खाना चाहिए।