अमरूद का प्राकृतिक रूप में सेवन, बहुत से रोगों से दिलाता है छुटकारा
अमरूद बाहर से कैसा भी हो, अन्दर से सफेद अमरूद अधिक स्वादिष्ट होता है । गुलाबी अमरूद की भी कुछ किस्में काफी मीठी व मधुर होती है । इलाहाबादी अमरूद सबसे उत्तम किस्म का माना जाता है । यू.पी. के अमरूद बहुत रूचिकर हैं । अमरूद में विटामिन सी सभी फलों से अधिक होता है । वैसे आंवला और चेरी पहले तथा दूसरे नंबर पर हैं मगर वे अमरूद की तरह ताजा प्राकृतिक रूप में कम खाए जाते हैं । अमरूद में विटामिन ‘सी’ इसकी छाल या छिलके में सब से अधिक होता है । अन्दर की ओर जाते जाएं तो यह कम होता जाता है । अमरूद को छिलका हटा कर कभी न खाएं ।। अमरूद से अनेक रोगों का उपचार होता है । कुछ का जिक्र यहां कर रहे हैं ।
बवासीर में — बवासीर का रोगी यदि रोज अमरूद खाए तो मस्सों को आराम मिलता है । खाली पेट अमरूद खायें। अधिक लाभ होगा । जिसे बहुत कब्ज रहता हो, उसे रोज अमरूद खाने चाहिए”
पेट दर्द रहना — अमरूद की कोमल पत्तियां लेकर धोकर पीसें। फिर पानी में मिलायें, छाने व पी लें । पेट दर्द में आराम मिलेगा ।
काली खांसी — अमरूद को गर्म रेत में सेंक कर खाएं।। हर प्रकार की खांसी में आराम मिलेगा । विशेषकर काली खांसी भी ठीक होती नजर आएगी ।
दांतों का दर्द — अमरूद के ताजे पत्तों को चबाएं।। इससे दर्द करते दांतो को आराम मिलेगा ।
मसूड़ों में सूजन — मसूड़ों में सूजन हो तो अमरूद के पत्ते पानी में डाल कर उबालें। इसके पानी से कुल्ले करें। आराम मिलेगा ।
मुंह में छाले होना — अमरूद के पत्तों का रस निकालें व इसमें थोड़ा कत्था मिलाएं तथा मुंह में लगाएं । छाले दूर होंगे। अमरूद का पत्ता धोकर उस पर कत्था लगाकर इसे चबाएं ।। छाले नहीं रहेंगे।
गुदा निकलना — अमरूद के पत्ते पीसें। इसको मल द्वार पर बांधें। गुदा नहीं निकलेगा । मस्सों को आराम मिलेगा ।
आंतों में घाव —यदि आंतों में घाव हो जाए तो अमरूद का जूस पिलाएं व अमरूद खिलाएं ।। इसमें मौजूद टेनिक एसिड के कारण घाव ठीक हो जायेगा ।