जो चक्षु इन्द्रिय से दिखाई न देवे, शरीर रहित निराकार हैं वह अमूर्तिक हैं। जैसे सिद्ध भगवान अमूर्तिक हैं। जो आठो कर्मों का नाश हो जाने से नित्य, निरंजन, अशरीरी है, लोक के अग्रभाग पर विराजमान हैं वह सद्धि परमेष्ठी हैं।