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अयोध्या
अमूल्य प्रवचन
May 10, 2023
Books Final
jambudweep
अमूल्य प्रवचन
01. स्वरूपाचरण चारित्र
02. जम्बूद्वीप क्या है?
03. आर्यिकाओं की नवधाभक्ति आगमोक्त है
04. विद्वानों के लिए दिशा निर्देश
05. सृष्टि की व्यवस्था
06. वैराग्यपथ पर बढ़ते कदमों को रोंके नहीं
07. दहेज दो तो ऐसा दो
08. श्रवणबेलगोला : एक दृष्टि
09. क्या बाहुबली के शल्य थी
10. मुनिमुद्रा सदा पूज्य है
11. अनादिसिद्ध णमोकार मंत्र
12. अहिंसा सर्वश्रेष्ठ धर्म है
13. साधु और गृहस्थों की चर्या
14. गृहस्थ के अष्ट मूलगुण
15. भगवान की दिव्यसभा का नाम है समवसरण
16. भगवान श्री कुंदकुंद देव
17. अनादिनिधन जैन धर्म
18. भरत की जिनेन्द्र भक्ति
19. मोक्षमार्ग के लिए रत्नत्रय की उपादेयता
20. दशलक्षण धर्म एवं क्षमावाणी पर्व
21. मन को वश में करने से ही कर्मों का क्षय होगा
22. श्रुतपंचमी पर्व
23. पंचकल्याणक क्या है?
24. गति एवं उनसे आने-जाने के द्वार
25. सप्तपरम स्थान
26. दान की महिमा
27. पंडित मरण
28. राजगृही तीर्थ का महत्त्व
29. अक्षय तृतीया पर्व की महिमा
30. अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर
31. आठ मूलगुणों का पालन गृहस्थ के लिए आवश्यक है
32. चिंताओं को कैसे दूर करें ?
33. नूतन वर्ष-अभिनन्दन
34. वीरशासन दिवस
35. शास्त्र स्वाध्याय कभी व्यर्थ नहीं जाता
36. राग के साथ द्वेष भी अवश्यंभावी है
37. संसार में ध्यान ही सारभूत है
38. अणुव्रती नियम से देवगति प्राप्त करता है
39. संस्कार से मानव भगवान बनता है
40. द्रौपदी पंचभर्तारी नहीं थी
41. अध्यात्म भावना आत्मा को परमात्मा बनाने में सहायक होती है
42. गुरुभक्तिकी महिमा
43. अन्तरात्मा ही परमात्मा बन सकता है
44. भगवान के दर्शन से अनेक उपवासों का फल मिलता है
45. जिनेन्द्र पूजा एवं दान श्रावक के लिए आवश्यक है
46. सिद्धचक्र विधान का माहात्म्य
47. समयसार को शुक्लध्यानी महामुनि ही अपने जीवन में साकार करते हैं, श्रावक नहीं
48. श्रावक एवं मुनि दोनों के लिए शुभोपयोग उपादेय है
49. जैनधर्म कर्म सिद्धान्त पर आधारित है
50. गुरु संगति का प्रभाव
51. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी
52. भगवान पार्श्वनाथ तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव
53. मोह का नाश कैसे हो?
54. भक्ति और वैराग्य मानव जीवन के दो सूत्र हैं
55. सदगृहस्थ
56. धर्म की महिमा
57. महिलाओं के कर्तव्य
58. सम्यग्ज्ञान कैसे प्राप्त होता है?
59. सम्यग्दर्शन ही धर्म का मूल है
60. पंचमेरु की महिमा
61. तेरहद्वीप रचना की महिमा
62. विद्यमान बीस तीर्थंकर कहाँ-कहाँ?
63. णमोकार मंत्र एवं चत्तारिमंगल
64. सरस्वती की मूर्ति वंदनीय हैं या नहीं?
65. गतियाँ कितनी हैं?
66. गुणस्थान चर्चा
67. ढाईद्वीप में कर्मभूमियाँ कितनी हैं
69. जानें, तेरहद्वीप की रचना में क्या है?
70. ढाई द्वीप में भोगभूमियाँ कितनी हैं?
71. दिगम्बर जैन साधु-साध्वियों की सामायिक
72. चारित्र से ही निर्वाण की प्राप्ति
73. जिनेन्द्र देव की अष्टविध पूजा में स्थापना करना आवश्यक क्यों
74. कुर्वेऽहं या करोम्यहं
75. निषद्या किसे कहते हैं?
76. जैनागम में वर्णित हवन विधि आवश्यक क्यों?
77. चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर महाराज के जीवन से संबंधित एक परिचर्चा
78. भवनवासी असुरकुमार देव : एक वार्ता
79. भवनवासी नागकुमारदेव : एक वार्ता
80. भवनवासी सुपर्णकुमार देव
81. भवनवासी-द्वीपकुमार देव
82. भवनवासी-उदधिकुमार देव
83. भवनवासी स्तनित कुमार एवं विद्युत्कुमार देव
84. भवनवासी दिक्कुमार एवं अग्निकुमार देव
85. भवनवासी वायुकुमारदेव
86. चतुर्थगुणस्थान में आत्मानुभूति
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