अपर विदेहस्थ गन्धमालिनी क्षेत्र की मुख्य नगरी। अनन्तानन्त तीर्थंकरो की शाश्वत जन्मभूमि है वर्तमान में हुण्डावसर्पिणी काल दोषवश पांच तीर्थंकरों ने इस नगरी में जन्म लिया। उ. प्र. के अवधप्रान्त में यह तीर्थ है जिसे शास्त्रों में अयोध्या, साकेता, सुकौशला आदि नामों से जान जाता है। वर्तमान में यह ऋषभदेव भगवान की खड्गासन ३१ फुट उत्तुंग पद्मासन प्रतिमा है, यहाँ जन्मे पांचो तीर्थंकरों श्री ऋषभनाथ अजितनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ, अनन्तनाथ की पांच टोंक आज भी यहां बनी हुई है।
भगवान ऋषभदेव के वंशज मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि है आज भी यहाँ हजारों की संख्या में राममन्दिर हैं वर्तमान में अयोध्या रामजन्मभूमि के नाम से विख्यात है परन्तु पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से हुए तीर्थोद्धार एवं अनेकानेक निर्माण, अभिषेकादि कार्यक्रमों के कारण आज यह ऋषभजन्मभूमि के नाम से भी जानी जाती है।