अरहर की दाल से कम होता है दांत का दर्द और ठीक होते हैं मुंह के छाले
दाल के रूप में उपयोग में लाए जाने वाली सभी दालों में अरहर का प्रमुख स्थान है। अरहर को तुअर या तुवर भी कहा जाता है। अरहर का वानस्पतिक नाम कजानस कजान है। अरहर के कच्चे दानों को उबालकर पर्याप्त पानी में छौंककर स्वादिष्ट सब्जी भी बनाई जाती है। आदिवासी अचलों में लोग अरहर की हरी—हरी फलियों में से दाने निकालकर उन्हें तवे पर भूनकर भी खाते हैं। इनके अनुसार यह स्वादिष्ट होने के साथ—साथ पौष्टिक भी होते हैं।
(१) दांत में दर्द अगर आपके दांत में दर्द है और आप घर पर ही कोई उपाय करना चाहते हैं, तो अरहर की दाल बहुत काम की होगी। यह सभी की किचन में होती है। जिन्हें दांत दर्द की शिकायत हो, उन्हें अरहर के पत्तों का काघ बनाकर कुल्ला करना चाहिए। ऐसा करने से पीड़ा खत्म होती है।
(२) मुंह के छाले मुंह के छाले लोगों को अक्सर परेशान करते है। ये बार—बार हो जाते हैं। मुंह के छालों को ठीक करने में भी अरहर की दाल कारगर है। पातालकोट के आदिवासी अरहर की दाल छिलके सहित पानी में भिगोकर रख देते हैं। आदिवासी इस पानी से कुल्ला करने पर मुंह के छाले ठीक होने का दावा करते है।
(३) माइग्रेन के लिए अरहर के पत्तों तथा दूब (दूर्वा घास) का समान मात्रा में तैयार कर नाक में डालने से माइग्रेन में लाभ होता है।
(४) नशा उतारने में भांग का नशा उतारने के लिए आदिवासी अरहर की कच्ची दाल को पानी में पीसकर नशे से परेशान व्यक्ति को पिलाते हैं जिससे नशा उतर जाता है।
(५) अधिक पसीना आने पर ज्यादा पसीना आने की शिकायत होने पर एक मुठ्ठी अरहर की दाल, एक चम्मच नमक और आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ लेकर सरसों के तेल में छोंकना चाहिए और इससे शरीर पर मालिश करनी चाहिए । इससे अधिक पसीना आने की समस्या से निदान मिलता है।
(६) घाव पर लगाते हैं डांग— गुजरात के आदिवासी अरहर के कोमल पत्ते पीसकर घाव पर लगाते हैं। इनके अनुसार ऐसा करने से घाव जल्दी सूखने लगते है और पकते भी नहीं हैं।
(७) दूध का स्रावण सामान्य करने के लिए पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकर अरहर के पत्तों और दालों को एक साथ पीसकर हल्का — सा गर्म करके प्रसव पश्चात महिला के स्तनों पर लगाते हैं। इससे जरूरत से ज्यादा मात्रा में दूध का स्रावण सामान्य हो जाता है
(८) कम दूध वाले पशुओ के लिए डांग— गुजरात के आदिवासी अरहर के पौधे की कोमल डंडिया, पत्ते आदि दूध देने वाले पशुओं को विशेष रूप से खिलाते हैं जिससे वे अधिक दूध देते हैं।