नंदीश्वर द्वीप के आगे अरुण नाम का द्वीप है उसको वेष्टित करके अरुणवर समुद्र स्थित है। अरुणवर समुद्र का विस्तार १३१०७२००००० योजन प्रमाण है। इस समुद्र के दूर ऊपर उठा हुआ अरिष्ट नाम का अंधकार प्रथम चार स्वर्गों को आच्छादित करके पाँचवें ब्रह्म स्वर्ग को प्राप्त हो गया है। मृदंग के समान आकार वाली आठ कृष्णराजियाँ उसके बाह्य भाग में सब ओर स्थित हैं। उस सघन अंधकार में अल्पर्द्धिक देव दिशा भेद को भूलकर चिरकाल तक भटक जाते हैंं। वे यहाँ से दूसरे महर्द्धिक देवों के प्रभाव से निकल पाते हैं। अन्य प्रकार से नहीं निकल पाते हैं।