-शंभु छंद-
ऋषभेश्वर के इक्ष्वाकुवंश में, चौदह लाख प्रमित राजा।
निज सुत को राज्य सौंप दीक्षा, ले सिद्ध बने शिव के राजा।।
इन अविच्छिन्न सब सिद्धों को, हम मन वच तन से नमते हैं।
हम भी उनके समीप पहुँचे, बस यही याचना करते हैं।।३।।
ॐ ह्रीं श्री युगादि-इक्ष्वाकुवंशीय-अविच्छिन्नपरम्परागत-सिद्धपदप्राप्त- चतुर्दशलक्षसिद्धपरमेष्ठिभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।