एक जलजन्तु का नाम यह अष्टापद आकाश में उछलकर यद्यपि पीठ के बल गिरता है तथापि पीठ पर रहने वाले पैरों से यह दु:ख का अनुभव नहीं करता ।
प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की निर्वाणस्थली कैलाशपर्वत जिसे ग्रन्थों में अष्टापद कहकर भी सम्बोधित किया है वर्तमान में भारत की सीमा से बाहर तिब्बत में है। इस पर्वत के चारों ओर खाई खुदी हुई है जिसके बारे में पुराणों में वर्णन है कि भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती ने वहाँ रत्नों की विशाल तीन चौबीसी प्रतिमाएं बनवाई थीं जिसे आगे उनके वंशज सगर चक्रवर्ती ने रक्षार्थ अपने साङ्ग हजार पुत्रों को आज्ञा देकर खुदवाया था।