विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल अस्थमा बर्डेन रिपोर्ट (2004) के अनुसार दुनिया भर में अनुमानत: लगभग 30 करोड़ लोग अस्थमा से ग्रस्त हैं। इसके अलावा सन् 2025 तक 10 करोड़ से ज्यादा अन्य व्यक्ति भी दमा से ग्रस्त हो सकते हैं। इन आंकड़ों से दमा के प्रकोप की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है। बावजूद इसके, दमा से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण इस रोग को नियंत्रित करने की कारगर दवाएं अब उपलब्ध हैं।
जोखिम भरे कारक (रिस्क फैक्टर्स)
जिन कारणों से दमा का दौरा पड़ता है या इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की हालत खराब होती हैं, उन्हें मेडिकल भाषा में रिस्क फैक्टर्स या ट्रिगर्स कहा जाता है। ऐसे फैक्टर्स में वायुप्रदूषण, धूल (घर या बाहर की) या पेपर की डस्ट, रसोई का धुआं, नमी, सीलन, मौसम परिवर्तन, सर्दी-जुकाम, धूम्रपान, फास्टफूड्स, तनाव व चिंता, पालतू जानवर के संपर्क रहना और पेड़-पौधों और फूलों के परागकणों आदि को शामिल किया जाता है। पौधे के फूलों में पाये जाने वाले सूक्ष्म कणों को परागकण कहते हैं, जो एलर्जी के प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा कई लोगों में कुछ निश्चित दवाओं (एस्पिरीन और बेटा- ब्लॉकर्स) के सेवन से भी दमा के रिस्क फैक्टर्स बढ़ सकते हैं। अत्यधिक भावनात्मक अभिव्यक्तियां (जैसे चीखने-चिल्लाने या फिर जोरदार तरीके से हंसना भी) भी कुछ लोगों में दमा की समस्या को बढ़ाकर दौरे की स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं।
इलाज
दमा के इलाज में इनहेलर चिकित्सा सर्वश्रेष्ठ है। इनहेलर में सांस के जरिए दवा सीधे फेफड़ों में पहुचंती है, जिससे दवा सीधे फेफड़ों पर असर करती है। यही नहीं,इनहेलर के इस्तेमाल से दवा के साइड इफेक्ट भी नगण्य होते हैं।
दमा के इलाज के प्रमुख इनहेलर्स ये हैं -कंट्रोलर इनहेलर्स
ये सांस नलियों में सूजन को घटाते हैं और गंभीर दौरे का खतरा कम करते हैं। कंट्रोलर इनहेलर के नियमित रूप से लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दमा के लक्षण नियंत्रित रहते हैं और दमा का दौरा पड़ने की भी रोकथाम की जा सकती है।
रिलीवर इनहेलर्स
ये शीघ्र ही सांस नलिकाओं के क्रियाकलाप को सुचारु रूप से संचालित करते हैं। दमा का दौरा पड़ने पर जब पीड़ित व्यक्ति की सांस तेजी से फूलती है, उस वक्त शीघ्र ही ये इनहेलर्स राहत प्रदान करते हैं।
कॉम्बिनेशन इनहेलर्स
दमे का सर्वोत्तम इलाज कॉम्बिनेशन (कंट्रोलर और रिलीवर)इनहेलर्स हैं। ज्यादातर लोगों में एक ही कॉम्बिनेशन इनहेलर से इलाज संभव है।
(डॉ.विक्रम सारभाई सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट ,
मेदांत दि मेडिसिटी गुड़गांव)’
दमा (अस्थमा) में पीड़ित व्यक्ति की सांस की नलिकाओं में सूजन आ जाती है। इस कारण उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। लक्षण -सांस लेने में कठिनाई, जो दौरे (अस्थमा अटैक) के रूप में तकलीफ देती है। -खांसी जो रात में और तेज हो जाती है। -सीने में कसाव व जकड़न। -सीने से घरघटाहट जैसी आवाज आना। -गले से सीटी जैसी आवाज आना। -बार-बार जुकाम होना।
जांचें
दमा का पता अधिकतर लक्षणों के आधार पर लगाया जाता है। कुछ परीक्षणों जैसे सीने में आला लगाकर, फेफड़े की कार्यक्षमता की जांच (पीईएफआर) और स्पाइरोमीट्री नामक जांचें की जाती हैं।
क्या करें दौरे को रोकने के लिए
दमा के दौरे को रोकने के लिए इन सुझावों पर अमल करें.. -दमा की दवा हमेशा अपने पास रखें और कंट्रोलर इनहेलर हमेशा समय से लें। -सिगरेट व सिगार के धुएं से बचें। -फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए सांस से संबंधित व्यायाम करें। -यदि बलगम गाढ़ा हो गया है, खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाए या रिलीवर इनहेलर की जरूरत बढ़ गई हो, तो शीघ्र अपने डॉक्टर से मिलें ।
बचाव
मौसम बदलने से सांस की तकलीफ बढ़ती है, तो मौसम बदलने के चार से छह सप्ताह पहले ही सजग हो जाना चाहिए। डॉक्टर से इस बारे में उचित परामर्श लेना चाहिए। -इनहेलर व दवाएं विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही लेनी चाहिए। समुचित इलाज होने पर आने वाले दिनों में या तो सांस का दौरा पड़ता ही नहीं है या बहुत कम पड़ता है या दौरे की आवृत्ति कम हो जाती है। -जिन वस्तुओं या माहौल के संपर्क में आने पर पीड़ित व्यक्ति की तकलीफ बढ़ती है, उन्हें एलर्जन्स कहा जाता है। जहां तक संभव हो, एलर्जन्स के संपर्क में न आएं। जैसे- धूल, धुआं, गर्दा, नमी, सर्दी व धूम्रपान आदि। -सर्दी, जुकाम, गले की खराश या फ्लू जैसी बीमारी का तुरंत इलाज कराना चाहिए, क्योंकि इससे बीमारी के बिगड़ने का खतरा रहता है। -कारपेट, बिस्तर व चादरों की सोने से पूर्व नियमित सफाई करनी चाहिए। -व्यायाम या मेहनत का कार्य करने से पहले इनहेलर अवश्य लेना चाहिए। यदि रात में सांस फूलती है, तो रात में सोने से पहले ही इनहेलर और अन्य दवाएं डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश के अनुसार लें। -घर हवादार होना चाहिए, सीलनयुक्त न हो। खुली धूप आनी चाहिए। -बच्चों को लंबे रोएंदार कपड़े न पहनाएं। जो बच्चे दमा से पीड़ित हैं, उन्हें टेडी बीयर और फरदार खिलौनों से नहीं खेलना चाहिए। -घर की सफाई, पुताई व पेंट के समय रोगी को घर से बाहर रहना चाहिए। -रोगी के कमरे में असली व नकली पौधे न रखें। कुत्ता, बिल्ली और पक्षी न पालें। घर को कॉकरोचों से मुक्त रखें।