साधु का एक मूलगुण
अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु इन पांच परमेष्ठियों में साधु परमेष्ठी के २८ मूलगुण होते हैं ये अट्ठाईस मूलगुण है-
पंच महाव्रत समिति पन पंचेन्द्रिय का रोध।
षट् आवश्यक साधुगुण, सात शेष अवबोध ।।
अर्थात् ५ महाव्रत, ५ समिति, ५ इन्द्रियविजय, ६ आवश्यक और सात शेष गुण है । ये साधु के २८ मूलगुण है। उन मूलगुणों में जो सात शेष गुण है- अस्नान, भूशयन, वस्त्र त्याग, केशों का लोच, दिन में एक बार लघु भोजन, दांतोन का त्याग और खड़े होकर आहारग्रहण ।
इन सात गुणों में अस्नान महागुण में जैन साधु का स्नान का त्याग होता है अर्थात् जल से नहाना रूप स्नानादि क्रियाओं का त्याग हो जाता है।