प्रकृति प्रदत्त उपहारों में दृष्टि का स्थान सर्वोपरि है। इस अमूल्य उपहार की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए हमें हमेशा सजग रहना चाहिए। वैसे तो संतुलित और पौष्टिक आहार से शरीर के सभी अंग व अवयव स्वस्थ व मजबूत होते हैं लेकिन आंखों के लिए कुछ विशेष रूप से उत्तरदायी ऐसे आहार तत्व चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा खोज निकाले गये हैं जिनकी यदि उपेक्षा होती रहे तो नेत्र ज्योति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उनमें विटामिन ‘ए’ प्रमुख तत्व है। इस विटामिन की कमी से रतौंधी का होना एक सामान्य बात है जिसमें प्राय: आंखें सूजी रहती हैं और ऐसा व्यक्ति यदि तब भी उपेक्षा करता रहा तो वह स्थायी रूप से अंधेपन का शिकार हो सकता है । विटामिन ‘ए’ प्राकृतिक रूपों में हर प्रकार के हरे शाक —सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिनका समावेश आहार में होना चाहिए। व्यक्ति यदि संतुलित और प्राकृतिक आहार लेता रहे तो स्वास्थ्य अक्षुण्ण बना रहेगा और यदि स्वास्थ अच्छा है तो आंखें भी स्वस्थ रहेंगी ही क्योंकि वे भी शरीर के अंग अवयव हैं। स्वस्थ आंखों से तात्पर्य मात्र आंखों की सही दृष्टि से नहीं वरन् सर्वथा दोष रहित आंखों से है अर्थात् आंखों में शीघ्र थकान न आये, पीलापन लिए हुए न हों और आंखों का गोलक गड्डे में धंसा हुआ न लगे और न पुतलियों व पलकों के नीचे झुर्रियां हों। आंखें स्वच्छ निर्मल, धवल व चमकदार हों तो ही स्वस्थ कही जाएंगी। आंखों को स्वस्थ बनाये रखने में न अधिक मेहनत करनी पड़ती है और समय तथा श्रम भी अधिक व्यय नहीं करना पड़ता। मात्र थोड़ी जागरूकता एवं कुछ नियम पालन करने से आंखों को सदा स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है।
इन्हें निरंतर स्वस्थ बनाये रखने के लिए
इन्हें निरंतर स्वस्थ बनाये रखने के लिए इनकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होता है। आंखों की प्राकृति ठंडक पसंद है, अत: नित्य सुबह उठते ही उन्हें ठंडे पानी से साफ करना न भूला जाय। मुंह में पूरी तरह पानी भरकर चुल्लू में पानी लेकर आंखों पर हल्के—हल्के छींटे मारें । यह क्रम पांच सात बार कर लेने से आंखें स्वच्छ एवं स्वस्थ अनुभूत होने लगती है। आंखों को स्वच्छ एवं सशक्त बनाये रखने में त्रिफला जल को बहुत ही गुणकारी पाया गया है । किसी बर्तन में एक दो चम्मच त्रिफला चूर्ण अर्थात् आवंला, हरड़ एवं बहेड़ा के समभाग चूर्ण को रात्रि में एक गिलास पानी में भिगो दिया जाए। प्रात: उसे साफ हाथों से खूब मसलकर साफ सुथरे कपड़े से छान लें । यह पानी आंखों को धोने में प्रयुक्त किया जाए तो उनकी सफाई तो होगी ही, साथ—साथ प्राकृतिक पोषण में उन्हें मिलता रहेगा। आंखों को विश्राम नींद से मिलता है। अत: पूरी नींद लेने में लापरवाही न बरती जाय। अधूरी नींद से आंखों में जलन बनी रहती है। ऐसे लोगों को प्राय: सिर दर्द की शिकायत बनी रहती है और काम—काज में भी मन नहीं लगता। आंखों में लगातार काम लेते हुए भी बीच बीच में उन्हें आराम देने की आदत डालनी चाहिए। लगातार एक टक टी.वी देखने से आंखें कमजोर और बीमार होती हैं। इसके लिए बीच—बीच में दृष्टि इधर—उधर घुमा लेनी चाहिए। यदि पढ़ाई कर रहे हैं तो १०—२० मिनट, काम बंद करके थोड़ी देर तक दोनों हाथों की हथेलियों से आंखें बंद रखने से उनकी थकान दूर हो जाती है। यदि आंखें थकी—थकी सी लग रही हों तो गुलाब जल मिश्रित पानी में साफ रूई भिगोकर आंखों पर रखने से राहत मिलती है और ताजगी महसूस होती है। दृष्टि सामथ्र्य बढ़ाने के लिए जल, सूर्य तथा चंद्र किरणों से भी लाभ उठाना चाहिए। सूर्योदय के सूर्य को निहार्नाा व रात्रि में चांद को अपलक देखना आंखों के लिए अत्यंत लाभदायक है। नेत्रों को धूप, धूल, और धुएं से बचाकर रखने से वे स्वस्थ बनी रहती हैं। किसी वस्तु को एकटक देखते रहने , लेटकर पढ़ने, सिनेमा , टी.वी पास से एवं बराबर अपलक देखते रहने से आंखों पर बुरा असर पड़ता है। इनसे हमेशा बचना चाहिए। तभी हमारी आंखें जीवन भर स्वस्थ बनी रहेगी।