A respectful religious activity of inviting Pratishthacharya (consecrator) for performing various religious rites in Panchkalyanak Pratishtha, Vidhan etc.
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एंव पूजन-विधान आदि के प्रारंभ में यजमान द्वारा प्रतिष्ठाचार्य को श्रीफल आदि देकर विशेष सम्मानपूर्वक पूजा-पाठ कराने का निवेदन करना।