भद्रसाल वन के भीतर सीतोदा नदी के पूर्व पश्चिम भाग में स्वस्तिक और अंजन नामक पर्वत हैं। ये दोनों दिग्गज पर्वत मेरु पर्वत के दक्षिण में हैं। सीतोदा महानदी के दक्षिण तट पर कुमुद और उत्तर तट पर पलास नामक दो पर्वत हैं। ये दोनों पर्वत मेरु के पश्चिम में हैं। ऐसे ही सीता नदी के उत्तर किनारे पर पद्म कूट और दक्षिण किनारे पर नीलवान् कूट हैंंं। ये दोनों कूट मेरु के पूर्व में हैं। सीता नदी के पश्चिम तट पर अवतंस कूट और पूर्व तट पर रोचन नामक कूट हैं। ये दोनों कूट मेरु के उत्तर में हैं। भद्रसाल वन में स्थित इन आठ दिग्गजेन्द्रों का प्रमाण कांचन पर्वतों के समान है उनके ऊपर दिग्गजेन्द्र देव निवास करते हैं।
पश्चिम भाग में निषध व नील पर्वत की उपवन वेदी से संलग्न सुवर्णमय भद्रसाल वन वेदी है। वेदी की लम्बाई ३३६८४-४/१८ योजन प्रमाण है।