आत्मशक्ति
सफलता के लिए आवश्यक तत्वों में आत्मशक्ति महत्वपूर्ण है। आत्मशक्ति के बल पर बड़े से बड़े कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। यह हमारे संकल्पों को सिद्धि प्रदान करती है। आत्मशक्ति हमारी जीवटता को पोषण देती है। यदि हमारी आत्मशक्ति क्षीण होने लगे तो हम कमजोर पड़ने लगते हैं। साधारण से दिखने वाले कार्य भी हम नहीं कर पाते। हमारा संकल्प टूटने लगता है। हमारे, भीतर का धैर्य खोने लगता है। आत्मशक्ति को पोषण अहर्निश प्रयासों से ही मिलता है। जब हम छोटे-छोटे प्रयासों में सफलता प्राप्त करने लगते हैं तो हमारी आत्मशक्ति में वृद्धि होने लगती है।
जंगल में सिंह और हिरन के बीच भूख और जीवन का संघर्ष चलता रहता है। कई बार अद्भुत सामर्थ्यवान सिंह के जबड़े से हिरन बच निकलता है। वह सिंह की सामर्थ्य को पराजित कर देता है। यह हिरन की आत्मशक्ति के कारण ही संभव हो पाता है। यदि हिरन हार मान ले और स्वयं को बचाने का प्रयास भी न करे तो वह आसानी से सिंह का निवाला बन जाएगा। आत्मशक्ति ही उसे जीवन संरक्षण के लिए संजीवनी स्वरूप में शक्ति प्रदान करती है। यही मनुष्य के साथ भी होता है। मनुष्य कई बार दुर्घटना का शिकार हो जाता है अथवा रोगों से घिर जाता है। उस समय भी उसकी आत्मशक्ति ही कार्य करती है। यदि वह अपनी आंतरिक सामर्थ्य को जीवंत रखता है तो वह हर विकट परिस्थिति से बाहर निकल आता है। बड़े से बड़े रोग को भी परास्त कर देता है।
जीवन में अपेक्षित सफलता प्राप्त करने के लिए हमें आत्मशक्ति को पहचान कर कार्य करना चाहिए। जब हम अपनी सामर्थ्य को पहचान लेंगे तो हार नहीं मानेंगे। हर झंझावात से डटकर मुकाबला. करने का साहस स्वयं उत्पन्न होता जाएगा। आत्मशक्ति के जागरण के लिए हमें तन्मयता से एवं परिश्रमपूर्वक कार्य करते रहना चाहिए। छोटी- छोटी सफलता से ही विराट उपलब्धि के लिए आवश्यक आत्मबल प्राप्त होता है