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आत्मादृष्टा :!
November 27, 2015
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[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] ==
आत्मादृष्टा :
==
अहमिक्को खलु सुद्धो, दंसणणाणमइयो सदारूवी। ण वि अत्थि मज्झ किंचि वि अण्णं परमाणुमित्तं पि।।
—समयसार : ३८
आत्मद्रष्टा विचार करता है कि—‘‘मैं तो शुद्ध ज्ञान दर्शन स्वरूप, सदा काल अमूर्त, एक शुद्ध ज्ञान दर्शन स्वरूप, सदा काल अमूर्त, एक शुद्ध शाश्वत तत्त्व हूँ। परमाणु मात्र भी अन्य द्रव्य मेरा नहीं है।’’
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Suktiya
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