रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-झुमका गिरा रे…….
आरति करो रे,
श्री ऋषभगिरि मांगीतुुंगी की आरति करो रे।।टेक.।।
सिद्धक्षेत्र मांगीतुंगी, प्राचीनकाल से तीरथ है।
निन्यानवे कोटि मुनि के, निर्वाण से पावन कीरत है।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
निन्यानवे कोटि महामुनियों की आरति करो रे।।१।।
इस तीरथ पर जब से गणिनी, ज्ञानमती के चरण पड़े।
उनकी पुण्य प्रेरणा से, श्री ऋषभदेव भगवान बने।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
श्री ऋषभगिरि के ऋषभदेव की आरति करो रे।।२।।
विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति, प्रभु ऋषभदेव की राज रही।
सूर्योदय की प्रथम किरण से, प्रभु छवि स्वर्णिम भास रही।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
‘‘चन्दनामती’’ उस स्वर्णिम छवि की आरति करो रे।।३।।