तर्ज-माई रे माई………….
गणिनी माता ज्ञानमती की, आरति है सुखकारी।
इनके दर्शन से नश जाता, मोहतिमिर भी भारी।।
बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।।
धन्य टिवैâतनगर की धरती, जन्म हुआ जहाँ इनका।
छोटेलाल पिता माँ मोहिनी, शरदपूर्णिमा दिन था।।
अमृत झरता था चन्दा से……………………….
अमृत झरता था चन्दा से, खिली चांदनी प्यारी।
इनके दर्शन से नश जाता, मोहतिमिर भी भारी।।
बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।।१।।
ब्राह्मी चन्दनबाला का, मारग अपनाया माता।
साधू पद धारण कर तुमने, तोड़ा जग से नाता।।
सारी वसुधा बनी कुटुम्बी………………………..
सारी वसुधा बनी कुटुम्बी, महिमा तेरी निराली।
इनके दर्शन से नश जाता, मोहतिमिर भी भारी।।
बोलो जय जय जय बोलो जय जय जय ।।२।।
ग्रंथों की रचना में तुमने, नव इतिहास बनाया।
ऋषभदेव के समवसरण का, भारत भ्रमण कराया।।
हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप की……………………..
हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप की, रचना है अति प्यारी।
इनके दर्शन से नश जाता, मोहतिमिर भी भारी।।
बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।।३।।
तीर्थ अयोध्या मांगीतुंगी, का विकास करवाया।
फिर प्रयाग अरु कुण्डलपुर में, नवनिर्माण कराया।।
युग प्रवर्तिका प्रमुख आर्यिका………………….
युग प्रवर्तिका प्रमुख आर्यिका, छवि तेरी अति प्यारी।
इनके दर्शन से नश जाता, मोहतिमिर भी भारी।।
बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।।४।।
ऐसी माता से धरती का, आंचल होय न सूना।
युग-युग तक ‘चन्दना’ अमर हो, यह प्राचीन नमूना।।
इनमें दिखती सरस्वती की……………………….
इनमें दिखती सरस्वती की, पावन मूरति प्यारी।
इनके दर्शन से नश जाता, मोहतिमिर भी भारी।।
बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।।५।।