आरति करो रे,
चौबिस तीर्थंकर जन्मभूमि की आरति करो रे।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे।
चौबिस तीर्थंकर जन्मभूमि की, आरति करो रे।।टेक.।।
शाश्वत जन्मभूमि जिनवर की, नगरि अयोध्या मानी है।
पर हुण्डावसर्पिणी युग की, बदली पुण्य कहानी है।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
सब तीर्थंकर की पुण्यभूमि की, आरति करो रे।।
चौबिस०।।१।।
ऋषभ, अजित, अभिनन्दन, सुमती, प्रभु अनन्त तीर्थंकर ने।
जन्म अयोध्या में लेकर, पावनता भर दी फिर उसमें।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
शुभ तीर्थ अयोध्या जन्मभूमि की, आरति करो रे।।
चौबिस०।।२।।
श्रावस्ती, कौशाम्बी, वाराणसी, चन्द्रपुरि, काकन्दी।
संभव, पद्म, सुपारस, पारस, चन्द्र व पुष्पदंत नगरी।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
तीर्थंकर जन्म व कर्मभूमि की आरति करो रे।।
चौबिस०।।३।।
तीर्थ भद्रिकापुरी, सिंहपुरि, चंपापुरि, कम्पिलनगरी।
शीतल, श्रेयो, वासुपुज्य एवं प्रभु विमल की जन्मपुरी।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
चारों कल्याणक पावन भू की आरति करो रे।।
चौबिस०।।४।।
रत्नपुरी, हस्तिनापुरी, मिथिला, राजगृह, शौरीपुर।
धर्म, शांति, कुंथू, अर, मल्ली, नमि, मुनिसुव्रत, नेमीश्वर।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
आठों जिनवर की जन्मभूमि की आरति करो रे।।
चौबिस०।।५।।
कुण्डलपुर महावीर प्रभू की जन्मभूमि अतिपावन है।
चौबिस जिन की जन्मभूमियाँ सोलह अति मन भावन है।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
‘‘चन्दनामती’’ सब पुण्यभूमि की, आरति करो रे।।
चौबिस०।।६।।
जन्मभूमि का यह विधान, सबके जीवन को सफल करे।
सबकी पुनः पुनः यात्रा, आतमतीर्थ को प्रगट करे।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
तीरथ एवं तीर्थंकर प्रभु की आरति करो रे।।
चौबिस०।।७।।