शीतल जल में डालकर, सौंफ गलाओ आप। मिश्री के संग पान करि, मिटे दाह संताप।।१।।
फटे बिवाई मुँह फटे, त्वचा खुरदुरी होय, नींबू मिश्रित आँवला, सेवन से सुख होय।।२।।
सौंफ इलायची गर्मी में, लौंग सर्दी में खाये। त्रिफला सदा बहार है, रोग मुक्त हो जाये।।३।।
वात पित्त जब भी बढ़े, पहुँचावे अति कष्ट सौंठ आंवला, दाख संग, खावे पीड़ा नष्ट।।४।।
नींबू के छिलके सूखा, बना लीजिये राख मिटे वमन चाशनी संग ले, बढ़े वैद्य की साख।।५।।
लौंग इलायची चाबिये, रोजाना दस पांच हटे श्लेष्मा कंठ का, रहो स्वस्थ है सांच।।६।।
स्याह नौन हरड़े मिला, इसे खाईये रोज, कब्ज गैस क्षण में मिटे, सीधी सी है खोज।।७।।
पत्ते नागर बेल के, हरे चबाये रोज कंठ साफ सुथरा रहे, रोग भला क्यों होय।।८।।
खांसी जब—जब भी करे, तुमको अति बैचेन सीकी हींग अरु लौंग से, मिले सहज ही चैन।।९।।
छल प्रपंच से दूर हो, जग मंगल की चाह, आत्म निरोगी जन वही, गहे सत्य की राह।।१०।।