कच्छा देश के अंतर्गत आर्य खंड में ‘क्षेमा’ नामक नगरी है इस नगरी में चक्रवर्ती, तीर्थंकर, बलदेव, वासुदेव, प्रतिवासुदेव आदि महापुरुष उत्पन्न होते रहते हैं। अष्ट प्रतिहार्यों से सहित, चक्रवर्तियों से नमस्कृत तीर्थंकर देव के समवसरण, सप्तर्द्धि संपन्न गणधर सतत ही भव्यजीवों को मोक्ष का उपदेश देते रहते हैं, शरीर की अवगाहना पाँच सौ धनुष है एवं वहाँ के मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु पूर्व कोटि प्रमाण है।
यहाँ विदेहों में क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ये तीन ही वर्ण होते हैं। परचक्र की नीति, अन्याय, अतिवृष्टि, अनावृष्टि से रहित इन देशों में शिव, ब्रह्मा, विष्णु, बुद्ध आदि के मंदिर नहीं हैं।