देव, शास्त्र, गुरू को नमस्कार प्रणाम करने पर आशीर्वाद प्राप्त होता है । और कर्मों का क्षय होता है ।
पात्र की दृष्टि से आशीर्वाद दिया जाता है जैसे – उत्तम पात्र – व्रती श्रावकों को समाधिरस्तु ’ आशीर्वाद है । मध्यम पात्र – गृहस्थजनों को ‘सद्धर्म वृद्धिरस्तु’ आशीर्वाद है । जघन्य मनुष्य – नीच, पामर प्राणियों को ‘पापं क्षयोस्तु’’ आशीर्वाद है ।
घर में बड़े जनों को प्रणाम करने पर आशीर्वाद मिलता है – सदा खुश रहो । भगवान के सामने – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं सर्वसाधु को नमस्कार हो बोलकर पाँच पञज चढ़ाना चाहिए । गुरूओं के सामने – सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान , सम्यग्चारित्र बोल कर तीन पुञज चढ़ाना चाहिए । सरस्वती माता के सामने प्रथम, करणं, चरणं, द्रव्यं नम: बोलकर चार पुञज चढ़ाना चाहिए । योग्य विधि से नमस्कार करने से अच्छा आशीर्वाद मिलता है ।