जो जीव औदारिक , वैक्रियिक और आहारक इन शरीरों में से उदय को प्राप्त हुए किसी एक शरीर के योग्य शरीर वर्गणा को तथा भाषा वर्गणा और मनोवर्गणा को नियम से ग्रहण करता है, वह आहारक कहा गया है ।
आहारक
अनाहारक
तीनों शरीरों और छह पर्याप्तियों के योग्य पुद्गलों रूप आहार जिनके नहीं होता वह अनाहारक कहलाते हैं ।
विग्रह गति को प्राप्त होने वाले चारों गति सम्बन्धी जीव, प्रतर और लोक पूरण समुदघात करने वाले सयोग केवली, अयोग केवली, समस्त सिद्ध इतने जीव तो अनाहारक होते है और इनको छोड़कर शेष सभी जीव आहारक होते है ।