छठे गुणस्थान वर्ती मुनि के द्वारा सूक्ष्म पदार्थों को जानने के लिए अथवा संयम की रक्षा, तीर्थ वन्दना हेतु, अन्य क्षेत्र में मौजूद केवली या श्रुत केवली के पास भेजने के लिए मुनि के मस्तक से जो एक हाथ का सफेद रंग का पुतला निकलता है उसे आहारक शरीर कहते है । आहारक शरीर २ सादि धातु और संहनन रहित तथा समचतुरस्त्र संस्थान युक्त होता है । न तो इस शरीर के द्वारा दूसरे पदार्थ का और न दूसरे पदार्थ द्वारा इसका व्याघात होता है । इसकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त मात्र है ।
१ औदारिक
२ वैक्रियक
३ आहारक
४ तैजस
५ कार्माण