१. आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार तीन प्रकृतियाँ बताई गई हैं—
१. वात प्रकृति,
२. पित्त प्रकृति,
३. कफ प्रकृति,
१. वात प्रकृति के लक्षण
(१) बहुत जागने वाला
(२) सर पर कम बाल ,
(३) हाथ पैरों में फटापन,
(४) शीघ्रगामी,
(५) अधिक बोलने रूप प्रवृत्ति एवं स्वप्न में आकाश में चलने वाला व्यक्ति होता है।
भाव प्रकाश :श्लोक २९
२. पित्त प्रकृति के लक्षण
(१) बिना समय के श्वेतबाल होना,
(२) गौर वर्ण,
(३) बहुत पसीना आने वाला,
(४) क्रोधी स्वभाव,
(५) बहुत भोजन करने वाला,
(६) बुद्धिमान
(७) स्वप्नोें में भी तेजों को देखने वाला व्यक्ति होता है।
३. कफ प्रकृति के लक्षण —
(१) श्याम केशों वाला,
(२) अति वीर्यमान,
(३) क्षमा करने वाला,
(४) बलिष्ठ और स्वप्न में जलाशयों को देखने वाला व्यक्ति होता है। जिसमें दो दोषों के लक्षण हों वह संसर्ग और तीन दोषों के लक्षण हों उसे त्रिदोष जन्य जानना चाहिए। आचार्य अमितगति के मरणकण्डिका नामक ग्रन्थ (११०४) के अनुसार मानव के शरीर में ५ करोड़ ६८ लाख ९९ हजार ५८४ रोग संभावित हैं। इसलिए हमारे जीवन में हमारा आहार, हमारा पथ्य कैसा और क्या—२ कितना हो इसके लिए सर्वप्रथम हम प्रमुख फल, सब्जी, मेवा, मसालों आदि की तासीर एवं गुण धर्म को जानें।
फल , तासीर, गुणधर्म- सेवफल , ठण्डा, शक्ति वर्धक, क्रोध को कम करता है। – नाशपाती , शक्तिवर्धक, पाचक- नारंगी , रक्त शोधक – अनार, रक्तवर्धक, गर्मीनाशक, क्षुधावर्धक, हृदय व कण्डरोग नाशक – फालसा, ठण्डा, गर्मी नाशक – जामुन, ठण्डा , गर्मी नाशक, क्षुधावर्धक, शिरदर्द को दूर करता है। सुगर के मरीज के लिये विशेष गुणकारी औषधि है।- पपीता , तरगरम, मातृ—दुग्धवर्धक, शक्तिवर्धक, रेचक – आलू बुखारा , बुखार कम करता है।- आम, ठण्डा ,शक्तिवर्धक,घृत की कमी पूर्ति करता है। – बेल , स्वर्ण एवं चांदी भस्म की यात्रा रहती है। दस्त को बंद करता है। – नींबू , गर्मी नाशक, जायकेदार, पाचक – आँवला, अमृत सम गुणकारी, खटाई का राजा- खरबूजा, गर्म दस्तावर – तरबूज, ठण्डा , तरावट देता है। अधिक सेवन नहीं करें।- डाभ (कच्चा नारियल) ठण्डा एवं गर्मीनाशक