सौधर्म इंद्र की एक-एक ज्येष्ठ देवी के अनुपम लावण्यवाली सोलह हजार परिवार देवियाँ होती हैं।
सौधर्म इंद्र के ३२ हजार वल्लभा देवियाँ हैं। ये ज्येष्ठ देवियाँ और वल्लभा देवियाँ प्रत्येक अपने समान सोलह हजार विक्रिया करने में समर्थ हैं। सौधर्म-ईशान से आगे के इंद्रों की ज्येष्ठ देवियाँ इससे दूने-दूने प्रमाण विक्रिया करने में समर्थ हैं।
एक-एक दक्षिण इन्द्र के क्रम से विनयश्री, कजकमाला, पद्मा, नंदा, सुसीमा और जिनदत्ता इस प्रकार एक-एक वल्लभा देवी होती हैं।
एक-एक उत्तर इंद्र के क्रम से हेममाला, नीलोत्पला, विश्रुता, नंदा, वैलक्षणा और जिनदासी इस प्रकार एक-एक वल्लभा होती हैंं।
इन इंद्रों की वल्लभाओं में से प्रत्येक के कामा, काfिमनिका, पंकजगंधा, अलंबूषा ये चार महत्तरी होती हैं।
प्रतीन्द्रादि तीन के देवियों की विक्रिया ऋद्धि अपने-अपने इंद्रों के सदृश हैंं।
प्रत्येक लोकपाल के ३५०००००० देवियाँ होती हैंं। इंद्रों के तनुरक्षक देवों की देवियाँ प्रत्येक के ६०० होती हैं।