अर्हन्त भगवान की पूजा करना इज्या कहलाती है उसके नित्यमह, चतुर्मुख, कल्पवृक्ष आष्टान्हिक और इन्द्रध्वज यह पांच भेद है ।
याग, यज्ञ, क्रतु, पूजा, सपर्या, इज्या, अध्वर, मख और मह ये सब पूजा विधि के पर्यायवाचक शब्द है । जो गृहस्थ अभिषेक, पूजन, गीत, नृत्य आदि द्वारा पूजन करते हैं वे महान पुण्य का बंध कर लेते हैं ।
गृहस्थों के छ: आवश्यक कर्म होते है जिसमें इज्या अर्थात् पूजा भी एक है ।