अभाव यह वैशेषिकों द्वारा मान्य एक पदार्थ है । जैन न्याशास्त्र में भी इसे स्वीकार किया है परन्तु वैशेषिको वत् सर्वथा निषेधकारी रूप से नहीं बल्कि एक कथंचित् रूप से ।
अभाव के चार भेद है – प्रागभाव, प्रध्वंसाभाव, अन्योनयाभाव वव अत्यन्ताभाव । अन्योन्याभाव का ही दूसरा नाम इतरेतराभाव है ।
एक द्रव्य की एक पर्याय का उसकी दूसरी पर्याय में जो अभावव है उसे अन्यापोह याा इतरेतराभाव कहते हैं जैसे पट का पट मेंं अभाव ।