जिसका स्वभाव अन्य पुरूषों के पास आना जान है वह स्त्री इत्वरिका कहलाती है । इत्वरी अर्थात् अभिसारिका । इनमें भी जो अत्यन्त अचरट होती है वह इत्वरिका कहलाती है ।
यहाँ कुत्सित अर्थ में ‘क’ प्रत्यय होकर इत्वरिका शब्द बना है । इसे वेश्या भी कहते है । वेश्यासेवन करने वाले सदैव निंध योनि में जाते हैं और इस लोक में निन्दा के पात्र होने के अतिरिक्त परलोक में भी दुख प्राप्त करते हैं । वेश्यासेवन या परस्त्रीगमन करना सात व्यसनों में से एक है । वह सात व्यसन हैं –
जुआ खेलना, मांस, मद, वेश्यागमन, शिकार ।
चोरी, पररमणी रमण, सातों व्यसन निवार ।।