इन्द्र का अपनी आयु अल्प समझकर सबको समझाकर इन्द्र पद का त्याग करना इन्द्रपदत्याग क्रिया है ।
तिरेपन प्रकार की गर्भान्वय क्रियाएं होती हैं उनमें से ही यह इन्द्रपद त्याग क्रिया भी एक क्रिया है । श्रावकाध्याय संग्रह में तीन प्रकार की क्रियाएं कही गयीं हैं जिसमें गर्भान्वय भी एक क्रिया है ।
आदि पुराण पर्व ३८ के पृष्ठ २४४ पर भी इसका वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा –
गर्भान्वयक्रियाश्चैव तथा दीक्षान्वयक्रिया: ।