चमरेन्द्र के कृष्णा, रत्ना, सुमेघा, सुका और सुकाता ये पाँच अग्रमहिषी-महादेवियाँ हैं। इन महादेवियों में प्रत्येक के ८००० परिवार देवियाँ है। इस प्रकार से परिवार देवियाँ ४०००० प्रमाण हैं। ८०००²५·४००००।
ये पाँचों महादेवियाँ विक्रिया से अपने आठ-आठ हजार रूप बना सकती हैं। इस इंद्र के १६००० वल्लभा देवियाँ हैं।
वल्लभा १६०००±सपरिवार महादेवी ४००००·५६०००।
द्वितीय वैरोचन इंद्र के पद्मा, पद्मश्री, कनकश्री, कनकमाला और महापद्मा ये ५ अग्रमहिषियाँ हैं। इनकी विक्रिया, परिवार देवी आदि का प्रमाण पूर्ववत् होने से इस इंद्र के भी ५६००० देवियाँ हैं।
इसी प्रकार से भूतानंद और धरणानंद के पचास-पचास हजार देवांगनायें हैं।
वेणुदेव, वेणुधारी इंद्रो के ४४००० हैं। शेष इंद्रों की ३२-३२ हजार देवांगनायें हैं।
इन इन्द्रों के पारिषद् आदि देवों की देवांगनाओं का प्रमाण तिलोयपण्णत्ति से जान लेना चाहिए। सबसे निकृष्ट देवों के ३२ देवियाँ अवश्य होती हैं।
उपर्युक्त कहे गये प्रतीन्द्र, सामानिक आदि देव इंद्रोें के प्रधान परिवार स्वरूप हैं। इनके अतिरिक्त अन्य और भी अप्रधान परिवाररूप देव होते हैं जो कि असंख्यात कहे गये हैं।