प्रतिदिन देव—दर्शन अथवा जिन मंदिर में दर्शन के लिये जाना जैनियों का प्रथम क है कर्तव्य। आइए जिनदर्शन के द्वारा नय के भेदों को जानें — नय के सात भेद हैं —
१. नैगमनय — जिनमंदिर जाने का संकल्प करना
२. संग्रहनय — मंदिर जाने के लिये सामग्री एकत्र करना
३. व्यवहारनय — घर से मंदिर के लिये गमन करना
४. ऋजुसूत्रनय — मंदिर के सम्मुख पहुंचना
५. शब्द नय — मंदिर में जाकर घण्टा बजाना
६. एवंभूतनय — भगवान के गुणों का स्मरण करते हुए एकाग्र हो जाना
नय के तीन भेद और भी हैं
१. शब्द नय — ‘मंदिर’ शब्द को ग्रहण करना
२. अर्थ नय — मंदिर में जिन प्रतिमा के दर्शन करना
३. ज्ञान नय — ज्ञान में मंदिर की आकृति का आना । नैगम नय में ज्ञान की प्रधानता है। संग्रहनय, व्यवहारनय एवम् ऋजुसूत्रनय में अर्थ की प्रधानता है। शब्द, समभिरूढ़, एवं भूत नय में शब्द की प्रधानता है।